Monday, January 14, 2019

ज़िंदगी ख़्वाब है

रंगी को नारंगी कहे, बने दूध को खोया चलती को गाड़ी कहे, देख कबीरा रोया...

ज़िंदगी ख़्वाब है,
ख़्वाब में झूठ क्या
और भला सच है क्या

सब सच है ज़िन्दगी ख्वाब है...

दिल ने हमसे जो कहा,
हमने वैसा ही किया
फ़िर कभी फ़ुरसत से सोचेंग
बुरा था या भला ज़िन्दगी ख़्वाब है...

एक कतरा मय का जब
पत्थर से होंठों पर पड़ा
उसके सीने में भी
दिल धड़का ये उसने भी कहा क्या

एक प्याली भर के मैंने,
ग़म के मारे दिल को दी
ज़हर ने मारा ज़हर को
मुरदे में फिर जान आ गई

ज़िन्दगी ख़्वाब है...

गाना : ज़िंदगी ख़्वाब है, ख़्वाब में झूठ क्या
संगीतकार : सलील चौधरी
गीतकार : शैलेन्द्र
गायक : मुकेश
https://youtu.be/mVGqFJcKOi8

0 comments: