निर्वाण षटकम्
॥ निर्वाण षटकम्॥मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रेन च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
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आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥संकटाचे हरण करणारा,सर्व प्रकारचे वैभव देणारा,लोकांना आनं…Read More
post 1 What was Dharma in the eyes of Ram?“परहित सरिस धरम नहिं भाई ।पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।” The greatest religion is to serve others. And to ha…Read More
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