Friday, December 22, 2017

शाम से आँख में नमीं सी है


शाम से आँख में नमीं सी है






शाम से आँख में नमीं सी है
आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले 
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
आज फिर … 

वक़्त रहता नही कहीं टिककर 
इसकी आदत भी आदमी सी है
आज फिर … 

कोई रिश्ता नही रहा फिर भी
एक तसलीम लाजमी सी है
आज फिर …

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