Monday, February 25, 2019

कविता


इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, 
अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिखा जाता है।
~ भगत सिंग

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