Sunday, May 7, 2017

मन हे चंचल

मन हे चंचल | मन हे चपळ | न राहे स्थिर | एकापरि || रजतम दोषांचे | सत्वसद्गुणांचे | षड्रिपूविकृतिंचे | अधिष्ठान ते || 
मन अवघे आकाश | तोडी सारे भवपाश | दृश्यादृश्याचा भास | दाखवि ते || 
मन हे दर्पण | व्यक्तित्वावलोकन | आत्म्यासह जीवन | पूर्णरूप || 
भौतिकतेचा मारा | व्यापक हा जगपसारा | अध्यात्माचाही गाभारा | पेलितसे ते ||
अध्यात्माची नीव | ईशाची जाणिव | प्रयासी हा जीव | त्याचसाठी|| 
मन स्थिर निर्मळ | होवो निश्चल विमल | भगवंताचे सकल त्यात | दर्शन होवो||
सज्जनांच्या संगती | मनाची निवृत्ति | आत्मचैतन्याची विर्गती | साध्य होवो || 
-इंद्रायणी सुनील श्रीगिरीवार

0 comments: